फिल्म रिव्यू: “भूल-चूक माफ़” — हँसी और भावनाओं से भरपूर सफ़र

 फिल्म रिव्यू: “भूल-चूक माफ़” — हँसी और भावनाओं से भरपूर सफ़र

  • निर्देशक: राजेश मिश्रा
  • मुख्य कलाकार: आयुष शर्मा, रिद्धिमा सेन, परेश रावल, सीमा पाहवा
  • शैली: कॉमेडी-ड्रामा
  • रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5

 1. कहानी का सार:

भूल-चूक माफ़” एक हल्की-फुल्की पारिवारिक कॉमेडी है, जो एक छोटे शहर के आम परिवार की जिंदगी और उसमें होने वाली रोज़मर्रा की गलतियों को लेकर बुनी गई है।

कहानी है राघव मिश्रा (आयुष शर्मा) की, जो एक पढ़ा-लिखा मगर थोड़ा घबराया हुआ नौजवान है, और अपने परिवार की उम्मीदों के बोझ तले दबा हुआ है। उसके पिताजी (परेश रावल) एक सख्त और पुराने विचारों के इंसान हैं, जबकि उसकी माँ (सीमा पाहवा) हमेशा प्यार से हालात को संभालती हैं।

राघव को एक दिन गलती से एक सरकारी अफसर का लेटर मिल जाता है, जिसमें उसे सरकारी नौकरी के लिए सिलेक्ट बताया गया है — लेकिन वो लेटर असल में किसी और के लिए था। यहीं से शुरू होती है गलतियों की एक मजेदार चेन, जिसमें प्यार, झूठ, डर और परिवार की भावनाएँ सब जुड़ जाती हैं।

 2. अभिनय:

आयुष शर्मा ने एक कन्फ्यूज़ और सीधे-सादे लड़के का किरदार बहुत ही सच्चाई से निभाया है। उनके चेहरे के भाव और बोली दर्शकों को अपने आसपास के किसी इंसान की याद दिलाते हैं।
रिद्धिमा सेन एक अखबार की पत्रकार बनी हैं, जो राघव की कहानी में एक दिलचस्प मोड़ लाती हैं। उनका अभिनय सहज और प्रभावशाली है।

परेश रावल हमेशा की तरह अपनी कॉमिक टाइमिंग और गंभीरता के बीच संतुलन बनाए रखते हैं। वहीं सीमा पाहवा माँ के किरदार में बिल्कुल असली लगती हैं — जैसे आपकी अपनी माँ!


3. निर्देशन और संगीत:

राजेश मिश्रा का निर्देशन साफ-सुथरा और दिल से किया गया है। उन्होंने कहानी को साधारण रखते हुए भी उसमें गहराई बनाए रखी है।
फिल्म का संगीत मन को सुकून देने वाला है। खासकर एक गाना “गलती हो गई तो क्या” बहुत ही प्यारा है, जो फिल्म का संदेश भी देता है।


4. क्या अच्छा है:

  • पारिवारिक मूल्य और भावनाएँ अच्छी तरह दिखाए गए हैं।

  • कॉमेडी जबरदस्ती नहीं है — सिचुएशन से निकलती है।

  • किरदार असली लगते हैं, ओवरएक्टिंग नहीं है।

  • फिल्म का मैसेज सीधा और दिल को छूने वाला है — “हर इंसान गलती करता है, माफ़ करना सीखो”।


5. क्या थोड़ा कमज़ोर है:

  • बीच में कहानी थोड़ी खिंचती हुई लग सकती है।

  • क्लाइमैक्स थोड़ा प्रेडिक्टेबल है, लेकिन इमोशनल।


7. निष्कर्ष:

“भूल-चूक माफ़” एक ऐसी फिल्म है जो हँसाती भी है, रुलाती भी है और आखिर में एक अच्छा मैसेज देकर जाती है। यह फिल्म हमें याद दिलाती है कि रिश्तों में गलतियाँ होती हैं, लेकिन अगर हम दिल से माफ़ करना सीखें, तो ज़िंदगी आसान और खूबसूरत हो जाती है।

अगर आप एक साफ-सुथरी, दिल को छूने वाली पारिवारिक फिल्म देखना चाहते हैं, तो “भूल-चूक माफ़” ज़रूर देखें। और हाँ, अगर कोई गलती रह जाए,

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