04 जून 2025 | झारखंड:
आज पूरे झारखंड में एक बार फिर आदिवासी समुदाय की पहचान, जल जंगल ज़मीन और धर्म के मुद्दों को लेकर झारखण्ड बंद और विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला। राजधानी रांची से लेकर ग्रामीण इलाकों तक, लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करते हुए अपनी मांगों को बुलंद किया।
चान्हो के बीजूपाड़ा में उग्र लेकिन शांतिपूर्ण प्रदर्शन:
रांची जिले के चान्हो प्रखंड के बीजूपाड़ा गांव में विशेष रूप से भारी भीड़ उमड़ी। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने तिरपाल बिछाकर धरना दिया और अपनी बात रखी। स्थानीय लोग हाथों में पोस्टर लिए हुए थे, जिन पर लिखा हुआ था |
झारखण्ड बंद 4 जून 2025 :
पुरे झारखण्ड को आदिवासियों ने किया बंद आदिवासियों झारखण्ड में आदिवासियों का हक को छीना जा रहा है और उन्हें जल जंगले जमीन को लुटा जा रहा और उनके धार्मिक स्थल जैसे सिरम टोली केंद्रीय सरना स्थल को भी सरकार के द्वारा अनदेखा करते हुए वहा पे रोड का निर्माण किया गया है
जिससे कि आदिवासियों को अपने त्योहारों को मानाने में बड़ी ही कस्ट का सामना करना पड़ सकता है क्यों कि आदीवासी के सबसे बड़ा त्योहारों सरहुल में वह पे लाखो में भीड़ एकजुट होती है जिसमे 100 से भी ज्यदा गाँव के लोग सामिल होते है और ऐसे बहुत सरे परेशानी है जैसे :
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केंद्रीय सरना स्थल सिरम टोली रैम्प हटाना
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मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़ )
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गिरिडीह लुगुबुरु
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मुडहरपहाड़ सुतियाम्पिबेगढ़ पिठोरिया
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दीवड़ी दिरी (तमाड़ )
इतने सरे जगाह पर आदिवासियों का जगह होते हुए भी उने उन लोगो का हक तथा बात नहीं सुना जा रहा है इसको ले के रांची के कुछ प्र्मुख लोग ने एक 4 जून 2025 को झारखण्ड बंद रखने तथा अपने आसपास के चौक में बंदी करने का एलन किया था
धार्मिक स्थलों की रक्षा की मांग:
प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग रखी कि आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक स्थलों की रक्षा की जाए, जो लगातार अतिक्रमण और अन्य धार्मिक प्रभावों की चपेट में आ रहे हैं। एक बैनर में आदिवासी धार्मिक स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा गया:
“सिरम टोली (रांची), मारंग बुरू, पारसनाथ पहाड़ (गिरिडीह), लुगुबुरू, मुण्डरू पहाड़ (पिठोरिया), दिवड़ीदिरी (तमाड़) – इन स्थलों की रक्षा की जाए।”
इन स्थलों को आदिवासी संस्कृति का केंद्र माना जाता है| और इन्हें धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत के तौर पर सुरक्षित किया जाना ज़रूरी है।
यातायात पर असर, ट्रकों की लंबी कतारें:
झारखण्ड बंद 4 जून 2025 का प्रभाव मुख्य सड़कों पर स्पष्ट देखा गया। चान्हो थाना क्षेत्र, खासकर बीजूपाड़ा के पास, ट्रकों और गाड़ियों की लंबी लाइनें लगी रहीं। स्थानीय प्रशासन को वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था करनी पड़ी। हालांकि, प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा।
सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार:
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर सरकार अब भी नहीं जागी, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा। सरकार को ज़रूरी है कि:
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सरना धर्म कोड को मान्यता दे
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आदिवासी ज़मीन की लूट पर तत्काल रोक लगाए
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धार्मिक स्थलों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करे